रेल टिकटों की ब्लैकमार्केटिंग करने वाला ठग अरेस्ट, बैंक अकाउंट में पांच करोड़, 6 लाख कैश बरामद

बस्ती
उत्तर प्रदेश के बस्ती में अवैध रेल ई-टिकटिंग और टेरर फंडिंग से जुड़े हामिद अशरफ जैसे चेहरे से नकाब उठाने के बाद अब इस अवैध धंधे से जुड़े बाकी बड़े चेहरों को बेपर्दा करने में पुलिस लगी है। शुक्रवार को रेलवे और सिविल पुलिस की जॉइंट टीम अवैध रेल ई-टिकटिंग का काला कारोबार करने वाले एक शातिर को अरेस्ट करने में कामयाब हुई है। पकड़ा गया शातिर बाकायदा बेरोजगार युवाओं को लुभाकर इस अवैध कारोबार को गली मोहल्लों तक फैला रहा था।

पुलिस और आरपीएफ की जॉइंट टीम ने रेल टिकटों की ब्लैकमार्केटिंग करने वाले शमशेर आलम को गिरफ्तार किया है। टीम ने इसके पास से 6 लाख रुपये नगद और फॉर्च्युनर कार बरामद की है। हैरानी की बात है कि शमशेर के दस बैंक अकाउंट में से महज पांच बैंक अकाउंट से ही करीब एक साल में पांच करोड़ रुपये जमा होने का खुलासा हुआ है। उसके बाकी अकाउंट्स की डिटेल खंगाली जा रही है। एसपी हेमराज मीना के मुताबिक गोंडा निवासी 25 हजार के इनामी शमशेर को पुरानी बस्ती इलाके से पकड़ा गया।

आरोपित से पूछताछ में पता चला कि यह आईआरसीटीसी फर्जी आईडी बनाकर रेल ई-टिकटों की ब्लैक मार्केटिंग करता है। टिकट बुकिंग के लिए अपने अवैध सॉफ्टवेयर को विभिन्न माध्यम से पूरे देश मे मौजूद टिकट एजेंट्स को किराया पर भी उपलब्ध करता है। काले कारोबार से कमाई गई ब्लैकमनी को अपने परिवार के नाम चल-अचल संपत्ति खरीद कर वाइट कर लेता था। एसपी ने बताया कि शमशेर अपने रैकेट के विस्तार के लिए सोशल मीडिया का भी सहारा ले रहा था। इसके जरिये नए उम्र के लड़कों को रैकेट से जोड़ता था।

वह उन्हें इस धंधे की कमाई और पुलिस से बचने के तरीके भी सिखाता था। रैकेट से जुड़े टिकट सेलर से लेकर सॉफ्टवेयर बनाने और मेन्टेन करने वालो को मोटा कमीशन मिलता था। एसपी के मुताबिक शमशेर आलम के पांच बैंक अकाउंट की जांच में करीब पांच करोड़ रुपये मिले है। ये रकम पिछले एक साल में जमा की गई है। बाकी पांच बैंक अकाउंट्स और चल-अचल संपत्ति की जांच की जा रही है। इसके अलावा इसके पास से 6 लाख रुपये, एक फॉर्च्युनर, लैपटॉप और मोबाइल मिली है। इस पर रेलवे ऐक्ट में करीब आधा दर्जन केस दर्ज है।

Source: International

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