'देवताओं के वकील' के घर से होंगे मंदिर के फैसले

नई दिल्‍ली
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट का आधिकारिक कार्यालय ” माने जाने वाले के. पराशरण के ग्रेटर कैलाश स्थित आवास को बनाया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में इसका ऐलान किया गया है। भारत के अटॉर्नी जनरल रहे के. पराशरण ने अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद मामले में हिन्दू पक्षों की ओर से पैरवी की थी।

तमिलनाडु के श्रीरंगम में 9 अक्टूबर 1927 को जन्मे पराशरण राज्यसभा सदस्य और 1983 से 1989 के बीच भारत के अटॉर्नी जनरल भी रहे। उन्हें वकालत अपने पिता से विरासत में मिली थी। उनके पिता केशव अयंगर अधिवक्ता और वैदिक विद्वान थे, जिन्होंने मद्रास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस की थी। पराशरण के तीन पुत्र मोहन, सतीश और बालाजी भी अधिवक्ता हैं।

पद्मभूषण और पद्मविभूषण से विभूषित
पराशरण ने साल 1958 में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी। पद्मभूषण और पद्मविभूषण से नवाजे जा चुके पराशरण को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए ड्राफ्टिंग ऐंड एडिटोरियल कमिटी में शामिल किया था। अयोध्या मामले में वह रामलला विराजमान की ओर से सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रहे थे।

वकालत के ‘भीष्म पितामह
उम्र के 9 दशक पार करने के बावजूद पूरी ऊर्जा से अयोध्या मामले में अकाट्य दलीलें रखने वाले पराशरण को भारतीय वकालत का ‘भीष्म पितामह’ भी कहा जाता है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और मद्रास हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजय किशन कौल ने उन्हें ‘भारतीय बार का पितामह’ करार देते हुए कहा था कि उन्होंने अपने धर्म से समझौता किए बिना कानून में अगाध योगदान दिया। चर्चित सबरीमाला मामले में भगवान अयप्पा के वकील रहे पराशरण को भारतीय इतिहास, वेद पुराण और धर्म के साथ ही संविधान का व्यापक ज्ञान है।

‘अपने राम के लिए इतना तो कर ही सकता हूं’
इस मामले में उन्होंने एक आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश नहीं देने की परंपरा की वकालत की थी। अयोध्या मामले में उन्होंने स्कन्ध पुराण के श्लोकों का जिक्र करके राम मंदिर का अस्तित्व साबित करने की कोशिश की थी। राम सेतु मामले में दोनों ही पक्षों ने उन्हें अपनी ओर करने के लिए सारे तरीके आजमाए थे लेकिन धर्म को लेकर संजीदा रहे पराशरण सरकार के खिलाफ गए। ऐसा उन्होंने सेतुसमुद्रम प्रॉजेक्ट से रामसेतु को बचाने के लिए किया। उन्होंने कोर्ट में कहा, ‘मैं अपने राम के लिए इतना तो कर ही सकता हूं।’

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ग्रेटर कैलाश स्थित आवास बनेगा ट्रस्ट का कार्यालय
बता दें कि 9 नवंबर को अयोध्या मामले पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन हिंदुओं को देने का आदेश दिया था और सरकार को ट्रस्ट बनाकर मंदिर निर्माण का काम शुरू करने का निर्देश भी दिया था। बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का ऐलान कर दिया। ट्रस्ट के पते का उल्लेख भी केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी अधिसूचना में किया गया है। अधिसूचना में कहा गया, ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र’ नाम से एक ट्रस्ट का पंजीकरण इसके पंजीकृत कार्यालय आर-20, ग्रेटर कैलाश, पार्ट-1, नई दिल्ली, 110048 के साथ हुआ है।’ उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन की वेबसाइट के अनुसार यह पराशरण का आवासीय पता है।

Source: National

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