7 दिन की मोहलत, दोषियों को एक साथ ही फांसी

नई दिल्ली
निर्भया के दोषियों को जल्द-से-जल्द फांसी पर लटकाने की मांग वाली केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस की याचिका खारिज करते हुए ने कहा कि सभी दोषियों को एकसाथ ही फांसी होगी। कोर्ट ने साथ ही निर्भया के सभी दोषियों को 7 दिन के अंदर सभी कानूनी उपायों को आजमाने की डेडलाइन भी दे दी है।

बता दें कि निर्भया केस को दोषियों की डेथ वारंट दो बार टल चुका है। दोषी अलग-अलग मामले में कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करते हुए लगातार डेथ वॉरंट टलवाने में सफल हो जा रहे थे। लेकिन अब हाई कोर्ट ने उन्हें 7 दिन के अंदर ही सभी वैकल्पिक उपाय आजमाने को कहा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने दोषियों की फांसी में देरी पर अथॉरिटीज को लताड़ भी लगाई है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एक सप्ताह के बाद डेथ वॉरंट लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

कोर्ट में जज सुरेश कैत ने जेल मैनुअल के रूल भी पढ़े। कैत ने कहा कि जेल मैनुअल के नियम 834 और 836 के अनुसार के एक ही मामले में एक से ज्यादा सजा पाए दोषियों की अगर याचिका लंबित रहती है तो फांसी टल जाती है, कुछ बातों पर स्पष्टता नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत ने सभी को एक साथ दोषी ठहराया था, दोषियों का अपराध बहुत क्रूरता और जघन्य, समाज पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। लेकिन संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत कुछ कानूनी उपचार उनके भी हैं, जिनका उन्हें भरपूर मौका मिला। मुझे यह कहने में हर्ज नहीं है कि दोषियों ने खूब समय लिया, 2017 में याचिका खारिज होने के बाद भी डेथ वॉरंट जारी नहीं किया गया, किसी ने जहमत नहीं उठाई।

HC के फैसले पर यह बोलीं निर्भया की मां
दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर निर्भया की मां आशा देवी ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि अब सभी दोषियों के पास 7 दिन का समय है कानूनी विकल्प आजमाने के लिए। इसके बाद दोषियों को तुरंत फांसी दी जानी चाहिए।

केंद्र सरकार ने दिया था यह तर्क
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि दोषी कानून के तहत मिली सजा के अमल पर विलंब करने की सुनियोजित चाल चल रहे हैं। मेहता ने जस्टिस सुरेश कैत से कहा कि दोषी पवन गुप्ता का क्यूरेटिव या दया याचिका दायर नहीं करना सुनियोजित है। मेहता ने कहा कि निर्भया मामले के दोषी न्यायिक मशीनरी से खेल रहे हैं और देश के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से कहा, ‘कानून के तहत मिली सजा के अमल पर विलंब करने की एक सुनियोजित चाल है।’ जस्टिस सुरेश कैत ने केंद्र और दिल्ली सरकार की संयुक्त अर्जी पर तीन घंटे की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

Source: National

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