1983 में विश्व कप जीतने वाली टीम के सदस्य रहे मदन लाल ने कहा कि नियुक्ति के बाद उनकी बोर्ड के अधिकारियों से बात हुई थी लेकिन बीसीसीआई से अभी तक उन्हें किसी तरह की वे गाइडलाइंस नहीं मिली हैं जिनके आधार पर दो खाली स्थानों को भरा जाना है।
उन्होंने कहा, ‘नियुक्ति के बाद मेरी उनसे बात हुई थी, लेकिन राष्ट्रीय चयनकर्ताओं की नियुक्ति को लेकर मुझे अभी तक कोई गाइडलाइंस नहीं मिली हैं जिनके आधार पर चयन किया जाना है।’
सीएसी को दो चयनकर्ताओं का चुनाव करना है। भारत के पूर्व तेज गेंदबाज अजित अगरकर मुख्य चयनकर्ता प्रसाद का स्थान लेने की रेस में सबसे आगे हैं। मदन लाल ने कहा कि चयन को लेकर स्पष्टता तभी आ पाएगी जब उन्हें गाइडलाइंस मिलेंगी।
उन्होंने कहा, ‘मैं अभी कुछ नहीं कह सकता कि अगरकर को चुना जाएगा या नहीं। चूंकि जतिन परांजपे के तौर पर पहले ही पश्चिम जोन का प्रतिनिधत्व वहां है। मैं इस बारे में तभी बात कर सकता हूं जब मुझे चयन को लेकर गाइडलाइंस मिल जाएंगी।’
जोनल सिस्टम हालांकि अब लागू नहीं होता लेकिन अगरकर के आने का मतलब है कि सेंट्रल जोन का प्रतिनिधित्व नहीं होगा क्योंकि खोड़ा इस जोन से आते थे। अभी जो चयनकर्ता समिति में बने रहेंगे उनमें उत्तरी जोन से सरनदीप सिंह, पश्चिम जोन से परांजपे, पूर्वी जोन से देवांग गांधी हैं। दक्षिण जोन से प्रसाद थे और उनके स्थान पर लक्ष्मण शिवरामाकृष्णनन का आना तय माना जा रहा है। सीएसी का चुनाव करते हुए एक जो परेशानी आई थी वो थी बीसीसीआई के नए संविधान में लाया गया हितों के टकराव का मुद्दा, लेकिन मदन लाल ने कहा कि उन्होंने साफ कह दिया था कि वह अपनी अकादमी को लेकर कोई समझौता नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘अगर आप चाहते हैं कि आपके सर्वश्रेष्ठ लोग वापस आएं और प्रशासन में शामिल हों तो आपको हितों के टकराव के मुद्दें को दोबारा देखा जाना चाहिए। मैंने साफ कर दिया था कि मैं बच्चों को कोचिंग देना नहीं छोडूंगा क्योंकि ऐसा करने से मैं अपनी रोजी रोटी छोड़ दूंगा जो सही नहीं होगा। मैंने अपनी सहमति देते हुए पूरी ईमानदारी बर्ती और मेरा किसी तरह का हितों का टकराव नहीं है।’
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