अनूठा दस्तावेज, जन्म-मरण की पूरी 'कुंडली'

जयपुर
देश के अलग-अलग हिस्सों में इन दिनों (CAA) और नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं। उधर, के तहखाने में रखी एक अलमारी के ऊपर एक बंधी हुई गठरी मिली है। धूल से लिपटी इस गठरी में कुछ दस्तावेज बंधे हुए थे, जो कि अपनी उम्र के साथ दिन-ब-दिन पीले होते गए। दरअसल, ये दस्तावेज वर्ष 1890 के हैं। इनमें उर्दू में जन्म और मृत्यु का ब्यौरा दर्ज है। ये जयपुर की तत्कालीन रियासत का पहला जन्म और मृत्यु रेकॉर्ड है। इससे पता चलता है कि तकरीबन आठ दशक पहले भी इस तरह का रेकॉर्ड रखा जाता था।

लैंग्वेज रिसर्चर पद से सेवानिवृत्त हो चुके काजी कुदरतुल्लाह जयपुर की जन्म और पंजीकरण की प्रणाली के इतिहास को जानने के लिए 19वीं सदी के दस्तावेज इकट्ठा करने में जुटे हैं। उनका कहना है कि ये दस्तावेज किसी खजाने से कम नहीं हैं, इन्हें अच्छे ढंग से संरक्षित करना चाहिए। कुदरतुल्लाह कहते हैं, ‘उन दिनों दाइयां (प्रसव कराने वाली अनुभवी महिला) सभी जन्मों के पंजीकरण के लिए जवाबदेह होती थीं। रेकॉर्ड्स प्रतिदिन व्यवस्थित किए जाते थे। इनमें पिता का नाम, बच्चे का लिंग और पता होता था।’ उन्होंने कहा, ‘हर दिन कुल जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या भी दर्ज की जाती थी। वर्ष के आखिर में जयपुर गजट में यह डेटा प्रकाशित किया जाता था। यह उस वक्त की प्रणाली को दर्शाता था।’

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यहां बनवाया जा सकता है प्रमाण पत्र
जयपुर को जाने वाले सात प्रमुख एंट्री पॉइंट्स, जिनमें चांदपोल गेट, अजमेरी गेट और सांगनेरी गेट भी हैं, यहां महकमा म्युनिसिपल काउंसिल में जन्म प्रमाणपत्र बनवाया जा सकता है। वहीं, मृतकों का पंजीकरण भी इन्हीं कार्यालयों में परिवारवालों द्वारा कराया जा सकता है। जयपुर के अडिशनल म्युनिसिपल कमिश्नर अरुण गर्ग इस बात का दावा करते हैं कि जिन दस्तावेजों का ऐतिहासिक महत्व है, उन सभी को डिजिटल आर्काइव के जरिए संरक्षित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

Source: National

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