महाकाल एक्सप्रेस की पहली यात्रा, सीट की जगह अब पैंट्रीकार में पहुंचा शिव मंदिर

विकास पाठक, वाराणसी
तीन ज्‍योतिर्लिंगों को आपस में जोड़ने वाली देश की तीसरी कार्पोरेट ट्रेन काशी-महाकाल एक्‍सप्रेस का कमर्शल रन गुरुवार से शुरू हो गया। वाराणसी के कैंट रेलवे स्‍टेशन से महाकाल एक्‍सप्रेस समय से रवाना हुई। यात्रियों का पुष्‍प वर्षा कर स्‍वागत किया गया। यह ट्रेन शुक्रवार को शिवरात्रि के दिन उज्‍जैन होते हुए इंदौर पहुंचेगी। ट्रेन में भगवान शिव की सीट को लेकर भी खूब विवाद हुआ था। गुरुवार को जब ट्रेन चली तो भगवान शिव की तस्वीरों और मूर्तियों को पैंट्रीकार में शिफ्ट किया जा चुका था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 फरवरी को चंदौली जिले के पड़ाव में आयोजित कार्यक्रम में विडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए महाकाल एक्‍सप्रेस का शुभारंभ किया था। ज्‍योतिर्लिंग ओंकारेश्‍वर, महाकालेश्‍वर और काशी विश्‍वनाथ को जोड़ने वाली यह ट्रेन उद्धाटन के बाद से काफी चर्चा में रही। अपने पहले कमर्शल सफर पर कैंट रेलवे स्‍टेशन से गुरुवार दोपहर 2.45 बजे रवाना होने के समय ट्रेन की 90 प्रतिशत सीटें फुल रहीं। बोगी में सवार होने से पहले यात्रियों का पुष्‍पवर्षा कर स्‍वागत किया गया। वाराणसी से रवाना हुई ट्रेन सुलतापुर, लखनऊ, कानपुर, झांसी, बीना, भोपाल, उज्‍जैन के रास्‍ते शुक्रवार सुबह 9.30 बजे इंदौर पहुंचेगी।

बर्थ की जगह पैंट्रीकार में शिव मंदिर
उद्धाटन के दिन ट्रेन के कोच संख्‍या पांच की सीट नंबर 64 भगवान शिव के लिए रिजर्व कर मंदिर बनाए जाने की खबरें आने के बाद विवाद खड़ा हो गया था। इसको लेकर आईआरसीटीसी को स्‍पष्‍टीकरण देना पड़ा। विवाद के चलते अब शिव परिवार के मंदिर को बर्थ से हटाकर पैंट्रीकार में स्‍थायी तौर पर रखा गया है। ट्रेन से जुड़े कर्मचारियों की देखरेख में नियमित पूजा पाठ होगा।

Source: International

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