पूर्णिया
काकून से रेशम के धागे और उन धागों से साड़ियां बनाने के पीछे एक लंबी प्रक्रिया के साथ-साथ कड़ी मेहनत भी है। प्रधानमंत्री ने रविवार को ” के 62वें संस्करण में कहा कि पूर्णिया की महिलाएं शहतूत के पेड़ पर रेशम के कीड़ों से कोकुन तैयार करती थीं। इसका उन्हें मामूली दाम मिलता था। उसे खरीदकर उससे रेशम के धागे बनाने वाले लोगों को अच्छी कीमत मिलती थी।
काकून से रेशम के धागे और उन धागों से साड़ियां बनाने के पीछे एक लंबी प्रक्रिया के साथ-साथ कड़ी मेहनत भी है। प्रधानमंत्री ने रविवार को ” के 62वें संस्करण में कहा कि पूर्णिया की महिलाएं शहतूत के पेड़ पर रेशम के कीड़ों से कोकुन तैयार करती थीं। इसका उन्हें मामूली दाम मिलता था। उसे खरीदकर उससे रेशम के धागे बनाने वाले लोगों को अच्छी कीमत मिलती थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि बाद में इन महिलाओं ने नई शुरुआत की। इन महिलाओं ने सरकार के सहयोग से शहतूत उत्पादन समूह बनाए। फिर रेशम के धागे बनाए और इन धागों से उन्होंने खुद ही साड़ी बनवाकर बेचना शुरू किया। अब ये साड़ियां हजारों में बिक रही हैं।
कैसे बनता है रेशम?
अब काकून से रेशम निकालने की प्रक्रिया के बारे में भी जान लेते हैं। काकून को कुकर में सोडा डालकर सबसे पहले उबाला जाता है। उबाल के दौरान इसका धागा अलग-अलग होने लगता है। इसके बाद इसे छीलने पर इससे धागा निकलने लगता है। धागे की आवश्यकता के हिसाब से काकून लगाया जाता है। बता दें कि रेशम की खेती तीन तरह से की जाती है। इसमें मलबेरी, टसर और एरी, खेती के प्रकार हैं।
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Source: National