उत्तर प्रदेश के वाराणसी से करीब बीस किलोमीटर दूर जक्खिनी के बभनियांव गांव में करीब चार हजार साल पुराने शिल्प ग्राम का पता चला है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्राचीन ग्रंथों में दर्ज शिल्प ग्रामों में से एक है। पुरात्तव सर्वेक्षण विभाग ने फौरी तौर पर इस इलाके में उत्खनन का काम कराने का निर्णय लिया है। 26 फरवरी से इसपर काम शुरू भी हो जाएगा।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरात्तव विभाग की ओर से पंचक्रोशी एरिया का सर्वेक्षण कराए जाने के दौरान बभनियांव गांव में प्राचीन टीला मिला। टीले पर चार हजार साल पुराने मिट्टी के बर्तन, मंदिर और दो हजार साल पुरानी दीवारों के अवशेष तथा बाह्मी लिपि में लिखे अभिलेख मिले। सर्वेक्षण टीम की अगुवाई करने वाले प्रफेसर ए.के. दुबे ने बताया कि अवशेष ऐसी बस्ती के निशान हैं, जिसका जिक्र वाराणसी से संबंधित प्राचीन साहित्य में मिलता है। टीला पुरातात्विक संपदा से भरा होने से इस इलाके में कभी एक सभ्यता विकसित होने का पता चलता है।
बीएचयू टीम की सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान के निदेशक डॉ. बी.आर.मणि की अगुवाई में टीम ने हाल ही में बभनियांव का दौरा किया। टीले पर मिली मूर्तियों, अभिलेखों व अन्य सामग्री के प्रारंभिक अध्ययन के बाद साढ़े तीन हजार साल पुरानी सभ्यता होने की पुष्टि की है। इसके बाद पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने बीएचयू के साथ मिलकर यहां उत्खनन का प्लान तैयार किया है। प्रो. दुबे उस टीम का हिस्सा होंगे जो खुदाई का काम करेगी।
पुरातत्व विशेषज्ञों के मुताबिक काशी से निकटता के कारण बभनियांव टीले का खास महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार काशी को पांच हजार साल पहले भगवान शिव ने स्थापित किया था। हालांकि आधुनिक विद्वानों का मानना है कि यह नगरी तीन हजार साल पुरानी है। बभनियांव काशी का छोटा उपकेंद्र हो सकता है, जो एक शहर के रूप में विकसित हुआ हो।