रामनगर रामलीला की परंपराओं में राम राज्याभिषेक की भोर में होने वाली आरती की खासी मान्यता है। यह आरती सूर्योदय के दौरान उग रहे सूर्य के विशेष अनुष्ठान के तौर पर की जाती है। इसमें शामिल होने के लिए आस्था का रेला गांव-गली और मोहल्ले से देर रात निकल रामलीला स्थल की ओर चला तो भोर होने तक भीड़ का कहीं ओर-छोर नजर नहीं आ रहा था। भजन कीर्तन के बीच किला रोड स्थित अयोध्या मैदान में राज्याभिषेक समारोह में गुरु वशिष्ठ, विभीषण, सुग्रीव, अंगद, हनुमान समेत अनेक वीर संग बंदर-भालू उपस्थित होकर श्रीराम के राजा रूप का दर्शन करने को आतुर रहे। गुरु वशिष्ठ की आज्ञा पाकर श्रीराम ने सिर झुकाकर जैसे ही सभी का अभिवादन किया, पूरा इलाका राजा रामचंद्र के उद्धोष से गूंज उठा।
भगवान श्रीराम, मां सीता, भाई लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न सहित सिंहासन पर बैठे तो हुनमान उनके चरणों में बैठकर भक्ति में लीन दिखे। लाल-सफेद महताबी रोशनी में इस झांकी की छटा के हजारों लोग साक्षी बने। काशीराज परिवार के कुंवर अनंत नारायण सिंह ने भूमि पर बैठ श्रीराम का तिलक कर उन्हें भेंट दी। बदले में श्रीराम स्वरूप बने बालक ने अपने गले की माला उतारकर कुंवर को पहनाई। इसके बाद सूर्योदय की अलौकिक आरती देखकर भक्तों की खुशी देखते बन रही थी।
Source: UttarPradesh