डिग्री और अंकपत्रों में फर्जीवाड़े की जांच के लिए बनी एक बार फिर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय पहुंच गई है। टीम ने परीक्षा विभाग के अधिकारियों समेत कई कर्मचारियों से पूछताछ और कागजातों को देखने के साथ वर्ष 2004 से 2014 तक परीक्षा विभाग में नियुक्त अधिकारियों और कर्मचारियों के फोन नंबर और वर्तमान तैनाती के बारे में जानकारी मांगी है।
संस्कृत विश्वविद्यालय की का उपयोग कर प्रदेश में बड़ी संख्या में प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक नियुक्त होने का मामला वर्ष 2016 में सामने आने पर शासन ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने 65 जिलों में नियुक्त शिक्षकों के अभिलेख का सत्यापन करने के लिए विश्वविद्यालय को भेजा लेकिन अभी तक 32 जिलों का ही सत्यापन हो सका है। उधर फर्जीवाड़े में समानांतर सत्यापन की भूमिका भी सामने आने से एसआईटी फिर से सत्यापन भी करा रही है। सूत्रों के मुताबिक, एक सत्यापन में डिग्री को फर्जी बताया गया है तो दूसरे में उसी डिग्री को सही माना गया है।
इन्स्पेक्टर वी.के.सिंह के नेतृत्व में आया तीन सदस्यीय दल शुक्रवार तक संस्कृत विश्वविद्यालय में रहकर परीक्षा विभाग से संबंधित अभिलेखों की जांच करेगा। एसआईटी की जांच फर्जीवाड़े में विश्वविद्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता पर केंद्रित है। सत्यापन की धीमी प्रगति पर एसआईटी ने नाराजगी जताते हुए अधिकारियों से सवाल-जवाब किया। कुल सचिव राजबहादुर से भी बात की। बता दें कि अब तक छह बार से ज्यादा एसआईटी विश्वविद्यालय में आ चुकी है लेकिन जांच पूरी नहीं हो पाई है।
Source: UttarPradesh