'ये सीरियल किसर का टैग मेरी कब्र तक जाएगा'

बॉलिवुड के सीरियल किसर कहे जाने वाले ने अपनी इमेज को तोड़ने की लगातार कोशिश की है। किरदारों में अपना ऐक्टिंग टैलंट साबित किया। इसके बावजूद, ये टैग उनका पीछा नहीं छोड़ता। अब थ्रिलर फिल्म ” लेकर आए इमरान से हमने की यह खास बातचीत:

बॉलिवुड में इन दिनों रीमेक का चलन काफी बढ़ गया है। ‘द बॉडी’ भी एक स्पैनिश फिल्म की रीमेक है। ऐसे में, एक फिल्म जो पहले से है, उसे दोबारा बनाने में क्या रचनात्मक संतुष्टि मिलती है?अरे, ये रीमेक का चलन तो बहुत सालों से है। पहले तो राइट्स भी नहीं लेते थे, वैसे ही बना लेते थे। अब राइट्स न लो, तो प्रॉब्लम हो जाती है। आपको जेल हो जाएगी। इसलिए, अब लोगों को पता चल जाता है कि ये रीमेक है, वरना पहले पता नहीं चलता था। बहुत स्मार्टली कहीं से कहानी मार ली, दस सीन बदल दिए और अलग फिल्म बन गई, लेकिन अब ये नहीं चल सकता। वरना ये ट्रेंड तो सालों से चल रहा है। रही बात रचनात्मक संतुष्टि की, तो शख्स का अपना तरीका होता है चीजें पेश करने का। आपको इससे बस एक ढांचा मिल जाता है, उसके बाद आपका अपना दृष्टिकोण होता है। रीमेक इसलिए भी बनाते हैं, क्योंकि पता है कि वह पहले चल चुकी है। आपका अल्टीमेट गोल क्या होता है कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर चले, तो अगर एक कहानी को ऑडियंस ने पहले पसंद किया है, तो आपको पता है कि इसमें कुछ तो है, जिससे लोग इसे देखेंगे, इसलिए रीमेक करते हैं।

एक ऐक्टर के तौर पर बॉक्स ऑफिस आपके लिए कितना मैटर करता है?बॉक्स ऑफिस मैटर तो करता ही है। हर शुक्रवार आपकी किस्मत तय होती है। अगर आपको शुक्रवार को लोग नहीं देखेंगे, तो बात ही नहीं बनेगी। भले ही आपकी फिल्म चले या न चले, लेकिन लोगों को आपका काम पसंद आना चाहिए। जैसे, मेरी पहली फिल्म ‘फुटपाथ’ फ्लॉप थी, लेकिन मुझे उसमें नोटिस किया गया और मुझे वहां से काम मिलने लगा, तो हिट और फ्लॉप आपके हाथ में नहीं होता। फिल्म चलने या न चलने की बहुत सारी वजहें होती हैं। इतने सारे डिपार्टमेंट होते हैं, उसमें कहीं भी चूक हो सकती है, लेकिन बात बेचारे ऐक्टर पर ही आती है, क्योंकि ऐक्टर का चेहरा सामने होता है। लेकिन अगर ऐक्टर का काम अच्छा हो, भले ही फिल्म इतनी अच्छी न भी हो, तो भी ऐक्टर को काम मिलता रहता है और अच्छा काम करने का यही फायदा है।
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इधर, एक लंबे समय से आपकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही हैं। आपके हिसाब से कहां चूक हो रही है?देखिए, बॉक्स ऑफिस का तो आप अनुमान नहीं लगा सकते हैं। हर शुक्रवार का अपना नसीब होता है। आप चाहे जितनी भी मेहनत कर लें। कई फिल्में थीं, जो मेरे हिसाब से अच्छी थीं, लेकिन कभी हम किसी डिपार्टमेंट में चूक जाते हैं और फिल्म नहीं चलती है। फिर भी, एक क्रिएटिव इंसान के तौर पर मैं बहुत खुश हूं कि इंडस्ट्री इतनी ईमानदार रही है कि भले ही मेरी फिल्में पिछले कुछ सालों में नहीं चली हैं, फिर भी मुझे ‘द बॉडी’ करने का मौका मिला। अमिताभ बच्चन सर के साथ ” कर रहा हूं। संजय गुप्ता के साथ ‘मुंबई सागा’ कर रहा हूं। एक हिट मलयालम फिल्म ‘इजरा’ का रीमेक कर रहा हूं, तो जैसा मैंने कहा कि अगर लोगों को आपका काम पसंद आता है, भले ही उन्हें फिल्म इतनी पसंद नहीं आई हो, तो आपको काम मिलता रहेगा।

आप पीछा छुड़ाएं भी तो दूसरे फिल्ममेकर्स भी उसे भुनाने से नहीं चूकते, जैसे ‘क्वीन’ में आपकी किसिंग का उदाहरण दिया जाता है?बिलकुल। अब देखिए न, मैं इस इमेज को बदलने की कोशिश करता हूं, लेकिन हर दो साल में बार-बार ऐसी फिल्में आ जाती हैं। जैसे, क्वीन आई, फिर आयुष्मान की ड्रीमगर्ल में भी वही चीज कही जा रही है। यह ठप्पा लग गया है। मैं मजाक में कहता रहता हूं कि ये (सीरियल किसर) टैग मेरी कब्र तक जाएगा और उस पत्थर पर लिखा जाएगा कि किस्ड फ्रॉम 1979 से पता नहीं कब तक। ऐसा हो गया है।

आपने अपने रोल को लेकर एक्सपेरिमेंट करने की भी कोशिश की। क्या कभी इंडस्ट्रीवाले बोलते हैं कि आपको अपनी पुरानी सीरियल किसर वाली इमेज को बनाए रखना चाहिए?(हसंते हैं) ये भी बेवकूफाना है। आप एक ऐक्टर के तौर पर अलग चीजें करना चाहते हैं, लेकिन सब लोग आपको सिर्फ उसी चीज में वापस देखना चाहते हैं, तो यह बहुत बड़ी विडंबना है। इस इमेज को बदलने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है, यह अपने में पूरी किताब है। यह इतना आसान नहीं होता है। यह लहरों के खिलाफ तैरने जैसा है। कभी-कभी फिल्म इसी वजह से नहीं चलती है। मैं अपनी क्रिएटिविटी को लेकर पैशनेट हूं। मुझे अलग-अलग चीजें करनी है, लेकिन अगर वे चलेंगी नहीं तो क्या फायदा? इसलिए ये जो बाजार है, वह आपको डिक्टेट करता है कि ऐसा होना चाहिए। अगर इमरान हाशमी की फिल्म है, तो गाने होने चाहिए, ये होना चाहिए, वो होना चाहिए। ‘वॉय चीट इंडिया’ इतना बड़ा झटका था यार कि एक ऐक्टर के तौर पर मैं कुछ नया करने की कोशिश कर रहा था। ठीक है, फिल्म की अपनी कमियां थीं, वह बेस्ट फिल्म नहीं थी, लेकिन हमने कुछ अलग करने की कोशिश की। लोग कह रहे थे कि यार, तुम हारमोनियम बजाने क्यों बैठ गए? तुम्हें गिटार या ऐसा कोई कूल इंस्ट्रूमेंट बजाना चाहिए था। अरे, इसका क्या मतलब है?

Source: Entertainment

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